न जाने क्यू तुम बहोत यादआ रहे हो
भुलाना चाहू तो ,भूल नही पाते हम ,
मिलने की आस है ,क्या मै इस जनम में तुम्हे मिल पाऊँगी ?
तुम भी तो चाहते होंगे ,हम मिले ,बीते लम्हे याद करे
तुम्हारा तुम जानो .मेरी दिली तमन्ना है ,मेरे इंतकाल से पहले
पुरी करना चाहती हु ,क्या ये मेरी ख्वाइश पुरी होगी
ये तो खुदा ही जाने
क्या इतनी बड़ी खता हो गई है हमसे
के ऐसा मुह मोड़ लिया है
हा ! हमने गुनाह किया है
प्यार किया है आपसे , और जुदा हुए
नही समज सके आपकी मोहब्बत को ,
बड़ी सजा पाई है हमने ,
इसलिए जिंदगी भर तरस रहे है हम प्यार के लिए ,
क्या इतनी सजा काफी नही है
आपका दीदार होगा के नही ।
हमारा गुनाह माफ़ी के काबिल तो नही है ,
शायद इसलिए तड़पते है ,
बहोत तकलीफ होती है ,
क्या करे हम ,न दिल को चैन है न आराम
न किसीको बयां कर सकते है हम
आप ही बताये कैसे जिए हम!!!!!!!!!!!!!!!
Sunday, November 22, 2009
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